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फाइबर इंटरनेट सेवा के नाम स्थानीय वितरक ग्राहक को लुट रहा, चार हजार के लोगो से ले रहा साढ़े छे हजार

14-04-2025




आप के साथ भी जिले में तो नहीं हो रहा यह धोखा ... 
 
जागा ग्राहक तो स्थानीय वितरक व कंपनी के खिलाफ उपभोक्ता हेल्पलाइन पर दर्ज कराई शिकायत 
 
नीमच। जिले में फाइबर इंटरनेट सेवा के नाम पर अभी कई कंपनियां कार्य कर रही है। इसी क्रम में ग्राहक सस्ता और अच्छा और तेज गति वाला इंटरनेट को पसंद करता है। ऐसे में आप के साथ भी जिले में यह धोखा तो नहीं हो रहा है की कंपनी का प्लान सस्ता है पर कंपनी का स्थानीय वितरक आपको वही सस्ता प्लान महंगे में दे रहा है और आपके भरोसे को तार- तार कर रहा है। क्योकि एक ऐसा ही मामला वर्तमान में नीमच जिले में उजागर हुवा है। जिसमे फाइबर इंटरनेट सेवा के 4 हजार के कंपनी के प्लान को साढ़े छै हजार में नीमच जिले में दिया जा रहा है। जबकि कंपनी द्वारा स्थानीय वितरक को 4 हजार के प्लान में भी कमीशन प्रदान किया जाता है, फिर भी जिले में वह 4 हजार के प्लान पर पच्चीस सौ रुपये अधिक वसूल कर ग्राहकों को लुटा जा रहा है। 
 
पुरे मामले में नीमच निवासी एक ग्राहक ने रेडियंट डिजिटेक नेटवर्क लिमिटेड इंटरनेट कंपनी के खिलाफ राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन (एनसीएच) पर शिकायत दर्ज कर उपभोक्ता अधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाया है। ग्राहक अमित शर्मा का आरोप है कि कंपनी और उसके स्थानीय वितरक धर्मेंद्र भदौरिया (डायमंड कंप्यूटर) ने मनमाने तरीके से उनकी फाइबर इंटरनेट सेवा बंद कर दी, जिससे उनके व्यावसायिक कार्यों को भारी नुकसान पहुंचा है।

विवाद की जड़ है स्थानीय वितरक की अधिक अनैतिक मुनाफाखोरी 
 
ग्राहक के अनुसार, समस्या तब शुरू हुई जब स्थानीय वितरक ने कंपनी के 4,000 रुपये के प्लान की जगह 6,500 रुपये की मनगढ़ंत कीमत मांगी। जब ग्राहक अमित शर्मा ने सीधे कंपनी से 4,000 में प्लान रिन्यू करवा लिया, तो वितरक ने 8 अप्रैल से उनका कनेक्शन बंद कर दिया और झूठा दावा किया कि उन्होंने एजेंसी छोड़ दी है।

ग्राहक का आरोप - 
 
- वितरक ने बिना सूचना के सेवा बंद कर उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 का उल्लंघन किया।
- कंपनी ने वितरक के दावों की जांच किए बिना ग्राहक को सेवा से वंचित रखा।
- शिकायत के बाद भी कंपनी ने केवल "आश्वासन" दिया, कोई ठोस कार्रवाई नहीं की।


अब उपभोक्ता की चेतावनी मुआवजा या कोर्ट - 

अमित शर्मा ने एनसीएच के साथ-साथ कंपनी के वरिष्ठ अधिकारियों को लिखित शिकायत भेजकर मांग की है जिसमे अपनी  फाइबर इंटरनेट सेवा तुरंत बहाली की जाए। सेवा बंद रहने के दौरान प्रतिदिन के हिसाब से मुआवजा दिया जावे। स्थानीय वितरक के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई। साथ ही चेतावनी दी है की यदि 3 दिनों में समाधान नहीं हुआ, तो वह राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में मुकदमा दायर करेंगे। 

इस मामले में कानूनी विशेषज्ञ की राय है की उपभोक्ता अधिकार विशेषज्ञ अधिवक्ता राजेश तिवारी के अनुसार, "यदि ग्राहक के पास भुगतान और सेवा बंद होने का प्रमाण है, तो कंपनी उपभोक्ता फोरम में हार सकती है। सेवा प्रदाता का यह कर्तव्य है कि वह वितरकों के विवादों का असर ग्राहकों पर न पड़ने दे।"

कंपनी की प्रतिक्रिया - 

रेडिएंट डिजिटेक के ग्राहक सेवा प्रमुख ने "मामले की जांच" का दावा किया है, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।