नीमच। घोर गरीबी , कठिन संघर्ष और अपमान जिसके जीवन की नीयती थी किन्तु अपनी मेघा, अथक परिश्रम और अनवरत कार्य करने के स्वभाव ने उस साधारण और सामान्य व्यक्ति को भारत का असाधारण और महामानव बना दिया। अंबेडकर ने संघर्ष को जीवन की मौज बना लिया था और अपमान को चुनौती व उन्नति की सीढ़ी बना लिया था। अपनी अद्वितीय प्रतिभा के बल पर आपने अपने छोटे जीवन में महान और असाधारण कार्यों की वजह से महामानव और सर्वहारा वर्ग, महिलाओं और दलितों के मसीहा थे। उक्त उद्गार पी.एम.कालेज आफ एक्सीलेंस में अंबेडकर जयंती पर प्रोफेसर संजय जोशी ने मुख्य वक्ता के रूप में व्यक्त किए । प्राचार्य प्रशांत मिश्रा ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा कि आपने कैलिफोर्निया और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से पीएचडी , एमएससी डीएससी ,एलएलडी की उपाधियां प्राप्त की । आपको 11 भाषाओं का ज्ञान था और 18 घंटे कार्य करते थे । आपने भारत के संविधान का निर्माण किया और न्याय स्वतंत्रता समानता व बंधुत्व के सिद्धांत का संविधान में समावेश किया।
प्रोफेसर जोशी ने बताया कि बाबा साहेब ने केवल दलितों के लिए ही नहीं अपितु महिलाओं व मजदूरों के अधिकारों के लिए पुरजोर आवाज उठाई। आपने हिंदू कोड बील के माध्यम से महिलाओं को विरासत, विवाह और तलाक में पुरुषों के समान अधिकार मिलने हेतु कानून बनाने का प्रयास किया। अबेंडकर ने श्रमिकों के लिए भी फैक्ट्री अधिनियम 1946, ट्रेड यूनियन अधिनियम1947 बनाए जो उन्हें भारत के सर्वहारा वर्ग के लिए मार्क्स का दर्जा प्रदान करता है ।
बाबा साहेब कहा करते थे कि जीवन लंबा नहीं वरन बड़ा होना चाहिए।आपने कहा कि भारतीयों को दी गई उनकी यह नसीहत आज सर्वाधिक प्रासंगिक है कि शिक्षित बनो , संगठित रहो और संघर्ष करो ।
कार्यक्रम में डॉ बी.के अंब , डॉ गिरीराज शर्मा,डॉ अर्चना पंचोली, डॉ सी पी पंवार ,डॉ तुगनावत , , प्रो आर सी वर्मा,डॉ जे सी आर्य, एवं महाविद्यालय का स्टाफ व विद्यार्थी उपस्थित थे । यह कार्यक्रम राष्ट्रीय सेवा योजना के प्रोग्राम आफिसर राकेश कस्वा द्वारा आयोजित किया गया।